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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Monday 20 June 2011

डाल दो चाहे सलाखों में अबकी बार लाखों में

**अहिंसक सत्याग्रह के लिये एकता परिषद की कवायद शुरू** **डेढ़ सैकड़ा दस्ता नायकों ने लिया सत्याग्रह का प्रशिक्षण** जौरा | आदिवासी एवं वंचितों के अधिकारों के लिये देश भर में कार्यरत जन संगठन एकतापरिषद अब अपने अहिंसक आन्दोलन जन सत्याग्रह 2012 की तैयारियों में जुट गया है। संगठन ने केन्द्र सरकार पर जनदबाव बनाने की रणनीति पर काम करते हुए आगामी वर्ष 2012 में ग्वलियर से दिल्ली तक एक लाख लोगों की पदयात्रा निकालने का निर्णय लिया है। एकतापरिषद के इस अहिंसक आन्दोलन के लिये देश भर में तैयारियां करना शुरू कर दिया है। भूमि सुधार एवं गरीबों को भूमि आवंटन की मांग को लेकर शुरू होने बाले जनसत्याग्रह 2012 की तैयारियों के क्रम में चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में देश भर से आये संगठन कार्यकर्ताओं के उत्साह से यही लगता है कि वे अपनी सफलता के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं। प्रशिक्षण के दौरान जब वे बुलंद आवाज में नारे लगाते हैं कि ‘डाल दो चाहे सलाखों में अबकी बार लाखों में ‘ तो उनकी सफलता की राह बेहद आसान लगती है। प्रशिक्षण शिविर में आधा दर्जन से अधिक राज्यों के लगभग डेढ़ सैकड़ा दस्ता नायक मौजूद थे। एकता परिषद के प्रस्तावित जनांदोलन जनसत्याग्रह 2012 की तैयारियों के सम्बंध में संगठन के मुखिया पी.व्ही.राजगोपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि गांधी आश्रम जौरा में विगत दिनों शुरू हुए प्रशिक्षण शिविर में दस्ता नायकों को सत्याग्रह के हर पहलू का प्रशिक्षण संगठन के वरिष्ठ साथियों द्वारा दिया जा रहा है। प्रत्येक दस्ता नायक को सत्याग्रह में पांच सौ पदयात्रियों का नेतृत्व करने की जिम्मेवारी दी गई है। ग्वालियर से दिल्ली तक शुरू होने बाली एक लाख लोगों की प्रस्तावित पदयात्रा को व्यवस्थित बनाने के लिये संगठन के अलग-अलग साथियों को प्रथक-प्रथक जिम्मेवारियां दी गईं हैं। राजगोपाल ने बताया कि पूरे एक लाख पदयात्रियों को 200 शिविरों में बांटा गया है। जिनकी पूरी व्यवस्था दस्ता नायकों को सौंपी गई है। प्रत्येक दस्तानायक एक शिविर का नेतृत्व करेगा।

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