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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

जनसत्याग्रह 2012


जीवन जीने के संसाधनों पर अधिकार के लिए 100000 लोगों का अहिंसात्मक जन आंदोलन......
भारत में भूमि एवं जीविकोपार्जन के संसाधनों तक वंचित वर्गो की पहुंच बनाने के लिये किये जाने वाले संघर्षों का इतिहास बहुत लम्बा है। इसी क्रम में, भारत के इतिहास में पहली बार भू-अधिकार के सबसे बड़े अहिंसात्मक संघर्ष जनादेश 2007 एकता परिषद जनसंगठन के द्वारा आयोजित किया गया जिसमें भाग लेने के लिये 2 अक्टुबर 2007 को देश-विदेश से 25000 लोग ग्वालियर में इकट्‌ठे हुए। देश के लगभग 100 से ज्यादा विधायकों और सांसदों ने जनादेश 2007 को अपना समर्थन दिया जिसके परिणामस्वरुप -
  • देश में राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने के लिये, ग्रामीण विकास मंत्री, भारत सरकार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति और माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद का गठन किया गया। राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति के द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में भ्रमण कर राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति के संबंध में एक दस्तावेज तैयार कर प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजा गया। परन्तु प्रधानमंत्री ने अब तक राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद की बैठक नहीं की जिससे अब तक देश में राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति लागू नहीं की जा सकी।
  • देश भर में भूमि समस्या के समाधान के लिये एकल खिड़की बनाये जाने की घोषणा के बावजूद इस प्रक्रिया की शुरुआत अब तक नहीं की गई।
  • कोर्ट में पड़े भूमि संबंधी केस के निपटारे के लिये त्वरित न्यायालय की व्यवस्था की घोषणा भी की गई। इस संबंध में कुछ राज्यों में काम शुरु किया गया है। मध्यप्रदेश में इस अभियान को ''समान और सम्मान वापसी अभियान'' नाम दिया गया है।
  • वनअधिकार अधिनियम लागू किया गया और कुछ राज्यों में आदिवासियों और वनवासियों को जमीन पर अधिकार देने का काम तेजी से शुरु किया गया है परन्तु इसका प्रतिशत अभी काफी कम है।
उपरोक्त घोषणा पर सरकार के पहल की धीमी गति को देखते हुए जनादेश 2007 की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर 18-19 अक्टूबर 2008 को ग्वालियर में आयोजित जनसंसद में वंचितों का भूमि व आजीविका के अधिकार के लिये निर्णायक संघर्ष जनसत्याग्रह 2012 की घोषणा की गई।
जनसत्याग्रह 2012 क्यों?
  • गरीबों के हित में बने सभी कानूनों जैसे सिलिंग एक्ट, वन अधिकार अधिनियम आदि को सखती से लागू कराने के लिये।
  • गरीबों के विरोध में बने तमाम कानूनों जैसे विशेष आर्थिक क्षेत्र का कानून, भूमि अधिग्रहण कानून आदि को रद्‌द करने के लिये।
  • सरकार या योजना आयोग (जैसे डी बान्दोपाध्याय रिपोर्ट, बाल कृष्ण रंगे रिपोर्ट) द्वारा भूमि सुधार के लिये तैयार किये गये रिपोर्ट को लागू कराने के लिये।
  • जनादेश 2007 के दौरान सरकार द्वारा किये गये वादे को क्रियान्वित कराने के लिये।
  • भारत के प्रत्येक नागरीक के बीच जीविकोपार्जन एवं प्राकृतिक संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित कराने के लिये।
  • विकास की नीतियों को गरीबोन्मुखी बनाने तथा गरीबी उन्मुलन के स्थाई उपायो जैसे जल, जंगल और जमीन के समान और न्यायपूर्ण वितरण, कृषि को बढ़ावा देने तथा न्यायसंगत व्यापार नीति सुनिश्चित करवाने के लिये।
  • कृषि कार्य में लगी महिलाओं को किसान का दर्जा दिलाने तथा  प्राकृतिक संसाधनों पर महिलाओं के अधिकार को सुनिश्चित कराने के लिये।
  • पंचायती राज कानून के तहत सत्ता व संसाधन विकेन्द्रकरण की बात को सखती से और तुरत लागू कराने के लिये।
जनसत्याग्रह 2012 की गतिविधियां
जनसत्याग्रह 2012 में 2 अक्टूबर 2012 से एक लाख सत्याग्रही ग्वालियर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे। देश-विदेश से 100000 पत्र माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार को लिखा जायेगा।
3 अक्टूबर 2011 से एक वर्षीये भूमि अधिकार सत्याग्रह पदयात्रा का आरंभ किया जायेगा। ज्ञातव्य है कि एकता परिषद के द्वारा विगत दो दशकों में तहसील, जिला, संभाग और राज्य स्तर पर विभिन्न पदयात्राएं,रैलियां और अहिंसात्मक प्रदर्शन किया गया हैं। यह पदयात्रा उपरोक्त पदयात्राओं से बिल्कुल ही भिन्न होगी क्योंकि यह पदयात्रा देश के कई राज्यों से होकर गुजरेगी। भूमि अधिकार सत्याग्रह पदयात्रा 2 अक्टूबर 2011 को उड़ीसा से शुरू होकर छत्तीसगढ, झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा राजस्थान राज्यों का भ्रमण और भूमि समस्याओं का अध्ययन व संकलन करते हुए 30 सितम्बर 2012 को ग्वालियर पहुंचेगी। इस पदयात्रा के दौरान राज्य स्तरीय भूमि अधिकार सम्मेलन,जिला मुखयालयों पर रैली व युवा प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किये जायेंगे। इस पदयात्रा का उद्‌देश्य मध्यमवर्ग को इस विशाल जनआन्दोलन से जोड़ना, पत्रकार साथियों को वंचितों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाना,समान विचारधारा के संस्थाओं/संगठनों की एक बड़ी श्रृंखला तैयार करना,सत्याग्रह के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित करना और राज्य तथा केन्द्र सरकार का ध्यान जनसत्याग्रह 2012 के मुद्‌दों को हल करने के लिए आकर्षित करना है।
2 अक्टूबर 2012 को ग्वालियर से जब पदयात्रा दिल्ली की ओर बढेगी उसी समय देश भर के अधिकांश जिलाधिकारी व संभाग आयुक्त कार्यालय के समक्ष धरना दिया जायेगा।