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Sunday 15 May 2011

बस्तर में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेची गई

रायपुर ! बस्तर व दंतेवाड़ा जिले में आदिवासियों की करोडों रुपए मूल्य की सैकड़ों एकड़ जमीन परिवर्तित कर गैर आदिवासियों को बेच दी गई। बस्तर में 60 व दंतेवाड़ा जिले में 10 इस तरह कुल 70 मामले जांच में सामने आए हैं। जमीन दलालों और नेताओं ने षड़यंत्रपूर्वक यह जमीन खरीदी थी। इस दौरान वहा पदस्थ रहे कई अधिकारी भी इस पूरे मामले में शामिल थे। इन अफसरों ने भी वहां जमीने खरीदी थी। राजस्व मंत्री ने अमर अग्रवाल ने जमीन की रजिस्ट्री निरस्त कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
बस्तर और दंतेवाड़ा जिले में आदिवासियों की करीब सौ एकड़ से अधिक जमीन परिवर्तित कर गैरआदिवासियों को बेचने का मामला प्रकाश में आया है। जमीन की कीमत 80 करोड़ से ज्यादा आंकी गई है। मामले की जांच के बाद राजस्व मंत्री अमर अग्रवाल ने जमीन की रजिस्ट्री निरस्त कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इस पूरे मामले में एक आईएएस के अलावा कुछ और अफसर लपेटे में आ सकते हैं। नियम के अनुसार इन क्षेत्रों में आदिवासी की जमीन गैरआदिवासी को नहीं बेची जा सकती है। यदि बेचने की नौबत आती है तो इसके लिए कलेक्टर से एनओसी लेना आवश्यक है। जमीन बिक्री के दस वर्ष के भीतर भूमि का उपयोग बदला नहीं जा सकता। लेकिन वहां पदस्थ रहे अधिकारियों ने जमीन के बिक्री के तत्काल डायवर्सन कर दिया।
बताया गया है कि बस्तर संभाग के तत्कालीन कमिश्नर मनोज पिंगुआ ने आदिवासियों की जमीन की धड़ल्ले से हो रही खरीदी-बिक्री पर तत्कालीन कमिश्नर मनोज पिंगुआ ने चिंता जाहिर करते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। राज्य शासन को भेजी गए पत्र में उन्होंने कार्रवाई का आग्रह किया था। राजस्व मंत्री अमर अग्रवाल ने इस मामले के सामने आते ही बस्तर और दंतेवाड़ा कलेक्टरों से रिपोर्ट मांर्गी। बताया जाता है कि भू माफियाओं ने अफसरों से सांठगांठ कर जमीन बेचने का नया रास्ता निकाला था। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की भूमि का भूमि उपयोग परिवर्तित किया गया और फिर उसे गैर आदिवासियों को बेच दिया गया। नियमानुसार अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी नहीं खरीद सकते हैं। जिले के अधिकारियों ने इस मामले में ैभू उपयोग परिवर्तन कर के लिए यह तर्क दिया गया कि सिर्फ कृषि भूमि की खरीदी-बिक्री नहीं हो सकती है। आवासीय व अन्य कार्यों के लिए जमीन की खरीदी-बिक्री की जा सकती है। इसके बाद प्रभावशाली भू-माफिया व नेताओं ने मिलकर जगदलपुर शहर से लगे क्षेत्रों के अलावा दंतेवाड़ा शहर में 70 से अधिक प्रकरणों में 80 एकड़ से अधिक जमीन आदिवासियों की खरीद ली। राजस्व मंत्री अमर अग्रवाल ने जमीन की नियमविरूध्द खरीदी-बिक्री पर कार्रवाई करते हुए । तत्काल रजिस्ट्री निरस्त करने के आदेश कमिश्नर को दिए हैं। उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए कहा है। जानकारी के अनुसार प्रकरण 8 से 10 वर्ष पुराने है। उस दौरान जगदलपुर जिले में अपर कलेक्टर डी आर मंडावी द्वारा ज्यादातर प्रकरणों में जमीन खरीदी-बिक्री की अनुमति दी गई है। इसके अलावा दंतेवाड़ा के तत्कालीन कलेक्टर भी निशाने पर आ गए हैं।

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