नई दिल्ली.यमुना खादर के प्राकृत को बचाने के लिए अब आम किसान ही अन्ना हजारे बनेगा। मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित राजेन्द्र सिंह ने किसानों को ललकारते हुए कहा कि आपमें से कौन बनेगा अन्ना! यह लड़ाई अन्ना से कठिन है, लेकिन यहां अन्ना से भी अधिक मजबूत इरादे और संघर्षशील लोग हैं।
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि किसानों की लड़ाई सरलता व सादगी से लड़ी जाती है, इसलिए कभी हार नहीं होती है। बस, इसके लिए साधना की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अपने हक की लड़ाई के लिए प्राणों की आहुति से कम कुछ भी नहीं चलने वाला।
उनके इस आह्वान के साथ ही किसानों की भीड़ से अनेक हाथ अन्ना बनने के लिए उठ गए। उन्होंने कहा कि यमुना खादर की जमीन हर प्रकार की खेती के योग्य है, ऐसे में यहां पर किसी तरह का निर्माण करना उचित नहीं है।
इस मौके पर कहा गया कि यमुना की उपयोगिता के बारे में दिल्ली तथा केन्द्र सरकार को समझाने की कोशिश की जाएगी। दिल्ली के लिए यमुना जरूरी है और उसका भविष्य भी यमुना पर ही निर्भर करता है।
इस अवसर पर एकता परिषद के अध्यक्ष राजगोपाल ने कहा कि किसान को बर्बाद कर देश का निर्माण नहीं किया जा सकता है। अनाज की कमी से देश गुलामी की ओर अग्रसर होगा। खेती की जमीन को अन्य कार्यों में नहीं देना चाहिए।
यमुना जिए अभियान के संयोजक मनोज मिश्र ने कहा कि यमुना की वजह से दिल्ली है, न कि दिल्ली की वजह से यमुना। उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि यमुना को यमुना और किसानों को किसान रहने दो।
उन्होंने दावा किया कि दुनिया में दिल्ली एकमात्र ऐसा शहर है, जहां पर यमुना खादर जैसा प्राकृतिक स्थल है और पूरी दिल्ली यमुना खादर पर निर्भर है। यमुना हमें पानी और अच्छी मिट्टी देती है।
साथ ही, दिल्ली की जीवनदायनी भी यमुना है, इसलिए यमुना खादर को ज्यों का त्यों रहने दिया जाना चाहिए। इस मौके पर अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपील करते हुए कहा कि डीडीए का प्रस्तावित बायोडायवर्सिटी पार्क पथरीला है, इसलिए इस भूमि पर केवल खेती और बागवानी को ही बढ़ावा देना उचित होगा।
No comments:
Post a Comment