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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Monday 5 September 2011

भूमि समस्या को लेकर आंदोलन जरूरी

*गांधी आश्रम में बैठक आयोजित* श्योपुर। महात्मा गांधी सेवा आश्रम पाली रोड़ पर सोमवार को भूमि समस्या को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें इस समस्या को लेकर आंदोलन की तैयारी पर विचार-विमर्श किया गया, इस अवसर पर जन सत्याग्रहण 2012 के दल नायक भरत सरियाम ने कहा कि श्योपुर जिले की सैकड़ो बीघा जमीन दबंगो के कब्जो में फंसी है तथा जमीन का मालिक आदिवासी उनके खेतो पर काम करने को मजबूर है। इस संबंध में एकता परिषद ने व्यापक रूप से रैली व धरना प्रदर्शन का आयोजन भी किया लेकिन प्रशासन द्वारा समस्या के निराकरण की दिशा में विशेष कदम नहीं उठाया जा रहा है, मप्र शासन ने धारा 170 क व ख के अंतर्गत कब्जे की भूमि वापस करने के लिए कार्यवाही भी की। जिसके चलते कई लोगों को एसडीएम कोर्ट से नोटिस भी जारी किया गया, परन्तु दबंगो ने प्रशासन के आला अधिकारियों से सांठ-गांठ कर मामला खारिज करवा लिया। कुछ आदिवासियों के पक्ष में कार्यवाही भी हुई उसमें अभी तक सीमांकन के लिए कोई दल गठित नहीं किया गया, इसको लेकर सोमवार को दो सैकड़ा महिला-पुरूषों ने महात्मा गांधी सेवा आश्रम में उपस्थित होकर आंदोलन की रूपरेखा पर विचार किया। इस अवसर पर एकता परिषद के जिलाध्यक्ष गंगाराम आदिवासी, गुलाबबाई आदिवासी बगवाज, जानकीबाई, पूर्व सरपंच मयापुर वैशक्या एवं मुखिया हरदेव, आवदा से सुरजा, रामपुरा से रामचरण, बर्धा से सुरजा सहित आदिवासी समाज के मुखिया मौजूद थे।

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