About Me

एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Saturday 8 October 2011

एकता परिषद की जन संवाद यात्रा

Posted by अन्नपूर्णा मित्तल on October 1st, 2011

IMG_0505

ऐतिहासिक जनादेश 2007 सत्याग्रह पदयात्रा के समापन सत्र के दौरान रामलीला मैदान, नई दिल्ली में उपस्तिथ 25 हजार आदिवासी व भूमिहीनों के सामने डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह, पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने ऐलान किया कि प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति गठन की गई है।
इस ऐलान के 71 दिनों के बाद 9 जनवरी 2008 को भारत के राजपत्र में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने असाधारण भाग एक और खंड एक प्रकाशित किया। प्रकाशित राजपत्र में ग्रामीण विकास मंत्रालय (भूमि संसाधन विभाग) के संकल्प संख्या 231013/4/2007. एल. आर. डी. राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति बनाई गई। इसमें 20 सदस्य मनोनीत किए गए। इस समिति के प्रमुख सदस्य मिलाकर राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाई और 300 तक की सिफारिशें राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष सह प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को दे दी।
इस पर जनादेश 2007 सत्याग्रह पदयात्रा के महानायक व जन संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी० व्ही० राजगोपाल कहते हैं कि राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति ने 2009 में अपनी सिफारिशें राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष सह प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को दे दी। पर सरकार ने अभी तक कुछ नहीं किया है। तब तो यूपीए एक और यूपीए दो की सरकार पर असफल होने तथा अभूतपूर्व सत्याग्रह पदयात्रा जनादेश 2007 की अनदेखी करने का आरोप मजे से लगाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर हाल के दिनों में जो सत्याग्रह का स्वरुप निकल कर सामने आया है उस पर भी चर्चा करनी जरुरी है। इन दिनों महात्मा गाँधी जी के बताए हुए राह पर चलकर आंदोलन करने वाले लोगों की मांग पूरी नहीं की जाती है। इस पर गांधीवादी राजगोपाल उर्फ़ राजा जी ने कहा कि ग्वालियर से नई दिल्ली तक 25 हजार आदिवासी व भूमिहीन सत्याग्रियों ने पदयात्रा की। तब भी केंद्रीय सरकार सत्याग्रह पदयात्रा को तब्बजो नहीं दे रही है। वही समाजसेवी अन्ना हजारे ने आमरण अनशन किया तो उनकी मांगों को सरकार ने मान लिया। समाजसेवी अन्ना हजारे का 13 दिनों का यह आंदोलन भारत के इतिहास की एक अभूतपूर्व और युगांतरकारी घटना के रूप में रेखांकित किया जाएगा।
सनद रहे कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्य पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह जनादेश 2007 के समय सत्ता में बैठे रहे। वे 2 साल तक यूनियन कैबिनेट मंत्री बने रहे। पर वे देश के 75 फीसदी लोग जो जमीन व जंगल से जुड़े हैं, उसके हक में न ही संसद ने सड़क पर कोई सवाल खड़ा किया। इस तरह एक बार फिर यह साबित हो गया कि यह चरित्र सत्ता का ही शोषक था। भले ही 2009 के लोकसभा का चुनाव जीत गए हैं। अब तो मंत्री भी नहीं रहे, अभी संसद में हैं और सड़क पर भी, केवल दिल्ली वालों की तरह दिल चाहिए।
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर,
हर गाँव में हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही हो कहीं भी आग,
लेकिन आग जलनी चाहिए।

जनादेश 2007 से ही बापू के तीन बंदर की भूमिका में रहने वाले तीन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सत्तामद में चूर रहे। यूपीए एक के समय में पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह और यूपीए दो के समय डॉ सीपी जोशी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बने। अब पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ सीपी जोशी हैं और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश हैं।
जब तक केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ सीपी जोशी रहे तब तक राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति को अहमियत नहीं दी। इसके आलोक में एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधीवादी चिन्तक पी व्ही राजगोपाल और बिहार के जन सत्याग्रह 2012 के लीडरशिप करने वाले प्रदीप जी सत्तामद में चूर हो गए। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ सीपी जोशी से मुलाकात कर जनादेश 2007 के बारे में जानकारी दी। यह भी बताया कि अभी भी सत्याग्रही उम्मीद में बैठे हैं कि सरकार कब 25 हजार आदिवासी व भूमिहीन लोगों को जल, जंगल, जमीन और आजीविका मुद्दे पर क़ानून से राहत व लाभ दिला पाएगी? इसके साथ ही कब आम जनता को राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाकर उपहार देगी? और कब एक ऐसी काली रात की एक नयी सुबह होगी।
मगर आम जनता की आवाज सत्ता में टिकी रहे डॉ सीपी जोशी ने इसे अनसुनी कर दी। इस अनसुनी से गांधीवादी आहत हो गए। तब जाकर जन संगठन एकता परिषद और उसके समान संगठन ने मिल कर जन सत्याग्रह 2012 का शंखनाद कर दिया। जन संवाद यात्रा 2011 और जन सत्याग्रह 2012 डॉ सीपी जोशी की ही देन है।
उल्लेखनीय है कि एक नेक मकसद के लिए जन संवाद यात्रा 2011 और जन सत्याग्रह 2012 किया जा रहा है। इसलिए आम से खास तक के लोग जन संगठन एकता परिषद के साथ शामिल हैं। तब तो यह कहते हैं हम एकता परिषद के साथ हैं। तब यह भी कहते हैं, कि जनादेश 2007 में 25 हजार आदिवासी व भूमिहीन पैदल आए थे, इस बार पूरे 1 लाख आम से खास लोग सत्याग्रह में साथ साथ आने को तैयार हैं। अब एक बार फिर जन सत्याग्रह 2012 के महानायक राजगोपाल के साथ चलने को तैयार हैं।
एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी०व्ही० राजगोपाल ने बापू की समाधि राजघाट में जाकर बापू को नमन कर कलश में मिट्टी भरकर कन्याकुमारी रवाना हो गए। बताते चलें कि पी०व्ही० राजगोपाल केरल के ही रहने वाले हैं। केरल के कन्याकुमारी से 2 अक्टूबर 2011 से जन संवाद यात्रा शुरू होगी। देश के 24 राज्यों, 339 जिले और 358 दिन में 80 हजार किलोमीटर का सफर पूरा करते हुए अगले साल 5 नवंबर 2012 को यात्रा दिल्ली में समाप्त होगी। इस यात्रा का नेतृत्व भूमिहीनों के अधिकारों के लिए संघर्षरत जन संगठन एकता परिषद के अध्यक्ष पी०व्ही० राजगोपाल करेंगे।
बिहार में वर्ष 2008 में कोसी नदी के पूर्वी अफ़लक्स बांध के टूट जाने का करण राज्य के पांच जिलों सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा और पूर्णिया महाप्रलय के शिकार हो गये थे। इसमें हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इसमें हुई भारी जान-माल की क्षति को देखते हुए सुपौल से सहरसा तक राजगोपाल जी ने पदयात्रा की थी।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले मंगलवार 27 सितम्बर को राजगोपाल बापू की समाधि राजघाट में जाकर कलश में मिट्टी को लेकर दोपहर में हिमगिरी एक्सप्रेस से कन्याकुमारी रवाना हुए थे। शुरुआत में पी०व्ही०राजगोपाल यह यात्रा वाहन से करेंगे। 2 अक्टूबर 2011 को कन्याकुमारी से शुरू होने के बाद चारों दक्षिणी राज्यों में होते हुए महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूवरेत्तर राज्यों से गुजरते हुए बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और दोबारा से उत्तर प्रदेश होते हुए मध्य प्रदेश के ग्वालियर तक अगले साल 2 अक्टूबर, 2012 को पहुंचेगी। ग्वालियर से जन संगठन से जुड़े एक लाख आदिवासी व भूमिहीन किसानों का विशाल समूह करीब एक महीने की यात्रा करते हुए 5 नवंबर को दिल्ली पहुंचेगा।
जन सत्याग्रह 2012 के महानायक पी०व्ही०राजगोपाल ने बताया कि राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति ने 2009 में अपनी सिफारिशें राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष सह प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को दे दीं पर सरकार ने अभी तक कुछ नहीं किया। बताते चलें कि प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गठन राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद की केवल एक बार ही बैठक बुलाई गई। इसके बाद प्रधानमंत्री बैठक ही बुलाना भूल गए। राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पी०व्ही०राजगोपाल आदि हैं। तब भी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। जब जन संवाद यात्रा 2011 और जन सत्याग्रह 2012 का दबाव सरकार आ गया तब जाकर अब सरकार गंभीर हुई।
अब जब जन संवाद यात्रा 2011 और जन सत्याग्रह 2012 का एलान किया गया है तो ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति की बैठक बुलाई है और अब जाकर वे बता रहे हैं कि राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष सह प्रधानमंत्री भी की एक हफ्ते के भीतर ही बैठक बुलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैंने दोनों बैठकों का एजेंडा देखा है, सरकार ने कागजी तैयारी पूरी कर रखी है पर हमें इस बार अमल पर लाने वाली व्यवस्था चाहिए। हमें सरकारी खानापूरी नहीं चाहिए।” वे कहते हैं कि सरकार ने जनादेश यात्रा का आदेश नहीं माना इसलिए जन संवाद यात्रा 2011 की नौबत आई। इस यात्रा के जरिए वे देशभर में भूमि कानून व नीतियों पर जागरुकता व जनमत तैयार करेंगे और मुद्दे पर एक माहौल बनाने की कोशिश करेंगे। लोगों को पता होना चाहिए कि इस देश में परमाणु नीति है, विदेश नीति है, उद्योग नीति है पर देश के 75 फीसदी लोग जो जमीन व जंगल से जुड़े हैं, उनके लिए कोई भूमि नीति नहीं है। उन्होंने कहा कि भूमि की समस्या हल किए बिना देश में भ्रष्टाचार का पूर्ण समाधान नहीं हो सकता। गरीबी, नक्सल समस्याए पलायन हर समस्या की जड़ तो जमीन है।
एक अक्टूबर को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश कन्याकुमारी जाकर एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधीवादी चिन्तक पी०व्ही०राजगोपाल से मुलाकात करेंगे। सनद रहे कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति की बैठक बुलाई थी। इस बैठक की जानकारी राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष सह प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को जाकर दे दी गई है। राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष सह प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के कहने पर ही केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश कन्याकुमारी जाकर एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधीवादी चिन्तक पी०व्ही०राजगोपाल से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति की बैठक और राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष सह प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से मुलाकात करने की जानकारी के बारे में अवगत कराएंगे।

No comments:

Post a Comment