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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Saturday 8 October 2011

सरकार नहीं मानेगी तो एक लाख सत्याग्रही ग्वालियर से पैदल चल कर दिल्ली आएंगे-राजगोपाल

नई दिल्ली, 26 सितंबर (जनसत्ता)। एकता परिषद की जन संवाद यात्रा इस साल 2 अक्तूबर को कन्याकुमारी से शुरू होगी। इस यात्रा के तहत परिषद के अध्यक्ष राजगोपाल पीवी के नेतृत्व में आदिवासियों, दलितों और वंचितों का एक बड़ा समूह देश के विभिन्न राज्यों का दौरा करते हुए अगले साल ग्वालियर पहुंचेगा और वहां 2 अक्तूबर 2012 को शुरू होने वाले जन सत्याग्रह में समाहित हो जाएगा। इस जन सत्याग्रह में एक लाख सत्याग्रही ग्वालियर से पैदल चल कर दिल्ली आएंगे और अपनी मांगों को लेकर बेमियादी घरना देंगे।
यह जानकारी देते हुए परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजगोपाल पीवी ने कहा कि हम इस यात्रा को अंजाम देने के लिए इसलिए हम विवश हुए हैं कि केंद्र सरकार ने चार साल पहले जनादेश यात्रियों से जो वादे किए थे उसे उसने अमल में नहीं लाया। उन्होंने कहा कि 2007 में जब जनादेश यात्री ग्वालियर से पैदल चल कर रामलीला मैदान पहुंचे थे तब केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भू सुधार परिषद और राष्ट्रीय भू सुधार समिति का गठन किया था, लेकिन चार साल के दौरान दर्जनों पत्र लिखने और कई प्रदर्शन करने के बावजूद परिषद और समिति के जरिए केंद्र सरकार ने भू सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया। सरकार ने यह वायदा जनादेश यात्रा में शामिल उन वंचितों से किया था, जिनके पास आज भी कोई जमीन नहीं है और उनकी आजीविका के साधन तेजी से छीने जा रहे हैं।
सोमवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राजगोपाल ने कहा कि अब समग्र भूमि नीति के लिए एकता परिषद जन सत्याग्रह छेड़ेगी, क्योंकि किश्तों और टुकड़ों में समाधान के उपायों से मूल मसले हल नहीं होंगे और गरीबों, भूमिहीनों, दलितों और आदिवासियों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। उन्होंने समग्र भू सुधार नीति की जरूरत बताते हुए कहा कि खनन, वन्यजीव और भू अघिग्रहण और सेज जैसे कानूनों में देश के

गरीब लोगों के पक्ष में बदलाव लाने की कोशिश करनी होगी। साथ ही पेशा, भूमि सीलिंग और वनाघिकार कानूनों के जरिए भूमिहीनों के बीच जमीन वितरण के काम को अंजाम देने के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा। तभी गांधी, विनोबा, जेपी के साथ डा आंबेडकर के स्वप्न पूरे हो सकेंगे। राजगोपाल ने कहा कि वे गांधी जी के उस कथन में यकीन करते हैं कि जब राज्य शक्ति का उपयोग देश के गरीब लोगों के हित में नहीं करे तो उसे नियंत्रित करने की क्षमता पैदा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भूमि के मुद्दे पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के साथ उनकी वार्ता लगातार चल रही है। उन्होंने फिर से सत्याग्रह छेड़ने के सवाल पर कहा कि सरकार उनकी मांगों पर अमल कर रही होती तो उन्हें सत्याग्रह छेड़ने की जरूरत नहीं होती।
उन्होंने बताया कि उनके नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का एक बड़ा दल जन संवाद यात्रा के दौरान देश के विभिन्न राज्यों के करीब साढ़े तीन सौ जिलों में अस्सी हजार किलोमीटर क्षेत्रों का दौरा करेगा। दौरे के दौरान इन राज्यों में जमीन सहित खनन, जंगल, जल, खनन, मछली मारने के अधिकार, बांध निर्माण और विस्थापन आदि मुद्दों पर चल रहे पांच सौ से अधिक जन आंदोलनों को अगले साल ग्वालियर से शुरू होने वाले एक लाख लोगों के सत्याग्रह से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कन्याकुमारी से अगले महीने गांधी जयंती के दिन शुरू होने वाले जन संवाद यात्रा के पहले समग्र भूमि नीति को लागू करवाने के मुद्दे पर तीन दिन का सम्मेलन होगा। इस सम्मेलन में सर्व सेवा संघ की अध्यक्ष राधा भट्ट, राष्ट्रीय युवा योजना के निदेशक एसएन सुब्बाराव, जल बिरादरी के राजेंद्र सिंह, फोरेस्ट वर्कस फोरम के अशोक चौधरी और रोमा सहित संजय राय, स्वामी सच्चिदानंद, मंजुनाथ, सुभाष लोम्हटे, ललित बाबर, अमर सिंह चौधरी, प्रतिभा शिंदे,यशोदा, नाहित, विष्णु प्रिया, गुमान सिंह, हेम भाई और लालजी भाई जैसे समाजसेवियों के साथ अनेक लोग शामिल होंगे।

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