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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Saturday 22 October 2011

पानी के लिए राजेंद्र सिंह तो ज़मीन के लिए राजगोपाल करते रहे हैं संघर्ष

नई दिल्ली. टीम अन्ना से मतभेदों के चलते अलग हुए दो मशहूर सामाजिक कार्यकर्ताओं राजेंद्र सिंह और पीवी राजगोपाल ने समाजसेवा के काम से लंबे समय से जुड़े हुए हैं।

मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह को ‘जल पुरुष’ भी कहा जाता है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बागपत के रहने वाले राजेंद्र सिंह राजस्थान के अलवर जिले में काम करते हैं। राजेंद्र सिंह तरुण भारत संघ के नाम से एक गैर सरकारी संस्था चलाते हैं। राजेंद्र सिंह ने जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। अफसरशाही और भ्रष्टाचार से लड़ने में भी उनके प्रयास सराहनीय रहे हैं। उन्हें साल 2001 में मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

वहीं, केरल में जन्मे पी. वी. राजगोपाल ने सेवा ग्राम में अध्ययन किया और 70 के दशक में मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में डकैतो के पुनर्वास का काम किया था। बाद के वर्षों में वे देश के कई राज्यों का दौरा करते रहे और आदिवासी लोगों की समस्याओं को समझने की कोशिश की। 1991 में राजगोपाल ने एकता परिषद नाम के संगठन की स्थापना की थी। उनकी संस्था मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से संचालित है, जिसके वे अध्यक्ष हैं। इसके अलावा राजगोपाल गांधी पीस फाउंडेशन के उपाध्यक्ष भी हैं। उनका संगठन ज़मीन और जंगल पर आम आदमी के अधिकार के लिए काम करता है। राजगोपाल का दावा है कि एकता परिषद भूमि सुधार पर काम कर रहा देश का सबसे बड़ा आंदोलन है। एकता परिषद ने 2007 में ‘जनादेश’ नाम की मुहिम चलाई थी। एकता परिषद का दावा है कि यह बड़ा अहिंसक आंदोलन था, जिसमें भूमिहीन लोगों ने दिल्ली तक मार्च किया था।

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