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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Saturday 8 October 2011

नौकरशाहों के हाथों में हिंडौला खाती राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति

Posted by अन्नपूर्णा मित्तल on September 27th, 2011

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पटना। जन संवाद यात्रा की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। सिर्फ 5 दिन शेष हैं। इस रविवार से जन सत्याग्रह 2012 सत्याग्रह पदयात्रा को लेकर जन संवाद यात्रा शुरू किया जा रहा है। इस यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा। केरल प्रदेश के माटी के पुत्र विख्यात गांधीवादी व जन सत्याग्रह 2012 के महानायक पी व्ही राजगोपाल जन संवाद यात्रा पर निकलने वाले हैं।
सनद रहे कि ऐतिहासिक जनादेश 2007 के बाद दूसरी ऐतिहासिक जन सत्याग्रह 2012 सत्याग्रह पदयात्रा है। जन सत्याग्रह 2012 को लेकर जन संवाद यात्रा किया जा रहा है। जन संवाद यात्रा की शुरूआत केरल प्रदेश के कन्याकुमारी से हो रही है। उद्घाटन समारोह 2 अक्टूबर 2011 को कन्याकुमारी में होगा। इसके अगले दिन यात्रा 3 अक्टूबर को त्रिवेन्द्रम पहुंचेगी। 15 दिनों तक 15 जिलों का भ्रमण करके जन संवाद यात्रा 18 अक्टूबर को तमिलनाडू के कोयम्बाटूर पहुंचेगी। इसी तरह से आगे बढ़ते हुए 24 राज्य, 339 जिले और 358 दिन तय करके 24 सितंबर 2012 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में पहुंच जाएंगे।
राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य श्री राजगोपाल लगातार 358 दिनों तक यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान आम आदमी से मुलकात करेंगे। उनकी समस्याओं का आकलन व उनके आवेदनों का संग्रह भी किया जाएगा। यात्रा के दौरान राह में जन सुनवाई, नुक्कड़ सभा, पत्रकारों से मुलाकात करते हुए 354 दिनों में 24 राज्यों के 339 जिलों में यात्रा कर सकेंगे। इस यात्रा का मकसद है कि केन्द्रीय सरकार ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून का रूप देने का वादा कर भूल गयी है। इसके अलावा जल, जंगल, जमीन और आजीविका की सुविधाओं से वंचित समुदाय को लाभान्वित कराना।
सर्वविदित है कि जन संगठन एकता परिषद और उसके समान विचारधारा रखने वाले जन संगठनों ने वर्ष 2007 में जनादेश 2007 सत्याग्रह पदयात्रा आयोजित की थी। मध्य प्रदेश के ग्वालियर से 2 अक्टूबर को शुरू हुआ थी ऐतिहासिक सत्याग्रह पदयात्रा। किसी तरह की शिकायत किये बिना ही देश-प्रदेश-विदेश के 25 हजार वंचित समुदाय जल, जंगल, जमीन और आजीविका के सवाल पर पदयात्रा करने निकल पड़े थे। दो वक्त भोजन करने वाले राह में आने वाली मुसीबतों को सहते चले गये। सत्याग्रह के दौरान सात साथियों पर वाहन चढ़ा देने की दासता को सह लिया। इन शहीदों को नमन और भगवान इनकी आत्मा को स्वर्गलोक में जगह दें। सत्याग्रही 28 अक्टूबर को ठहराव के लिए रामलीला मैदान, नयी दिल्ली पहुंचे। अगले दिन 29 तारीख को संसद तक कूच करना था। मगर पुलिस प्रशासन ने ऐसा करने नहीं दिया और सत्याग्रहियों को रामलीला मैदान में फील्ड एरेस्ट कर लिया। पुलिस प्रशासन और सत्याग्रहियों के बीच का गतिरोध समाप्त करने हेतु प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पहल की। उन्होंने तब के केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह को राजदूत के रूप में रामलीला मैदान भेजा। डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह बिहारी अंदाज में सत्याग्रहियों का स्वागत करते हुए सभी मांगों को स्वीकार करने की बात करने लगे। उसके बाद प्रधानमंत्री की ओर से राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति बनाने की घोषणा की। परिषद के अध्यक्ष प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और समिति के अध्यक्ष केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह को बनाया गया। इसके बाद जनादेश 2007 सत्याग्रह पदयात्रा इतिहास के पन्ने में समा गया।
वादे के अनुसार राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाकर राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को सुपुर्द कर दिया। इसमें 300 अनुशंसाएं की गयी है। एक बार ही प्रधानमंत्री सह राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष डॉ मनमोहन सिंह ने परिषद की बैठक बुलाकर बैठक ही बुलाना भूल गये। जो चार साल के बाद भी राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून का रूप नहीं दिया जा सका। इससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
इसको आधार बनाकर जन सत्याग्रह 2012 का शंखनाद किया गया है। जनादेश 2007 की संख्या 25 हजार में इसबार जन सत्याग्रह 2012 में चार गुणा इजाफा करके एक लाख कर दिया गया है। आम आदमी को जगाने के लिए जन संवाद यात्रा की जा रही है। गौरतलब है कि इसमें मीडिया का सहयोग नहीं मिल रहा है। जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अखिलेश कुमार सिंह, भाजपाई लाल कृष्ण आडवाणी, जदयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी सदृश्य राजनीतिज्ञों की यात्राओं को लेकर इलेक्ट्रोनिक्स व प्रिंट मीडिया वालों का फोकस मिल जाता है। वहीं महात्मा गांधी के अस्त्र से वार करने वाले गैर राजनीतिकज्ञ समाजसेवी अन्ना हजारे और रामदेव बाबा को आमरण अनशन करने पर मीडिया वालों ने जमकर उनके मुद्दों को उछाला। उस लिहाज से जन संगठन एकता परिषद के ऐतिहासिक सत्याग्रह पदयात्रा को मीडिया वाले तवज्जों नहीं देते और न ही फोकस ही डालते हैं। वहीं आमरण अनशन करने वाले एकता परिषद, बिहार के प्रांतीय संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी के नेतृत्व में जन सत्याग्रह 2012 के शिविर नायकों का एक जत्था कन्याकुमारी जाने वाली है। इस जत्थे में मगध प्रक्षेत्र के शिविर नायक शत्रुध्न कुमार, उत्तरी प्रक्षेत्र के वशिष्ठ कुमार सिंह, कोसी प्रक्षेत्र के विजय गौरेया, पटना प्रक्षेत्र से उमेश कुमार, मंजू डुंगडुंग और सिंधु सिन्हा हैं।
उल्लेखनीय है कि चार साल से मसला केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के पास है। इसमें पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह औ पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास डॉ सीपी जोशी का सहयोग राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून का रूप देने में हिस्सादारी ना के बराबर ही रहा। इसी के कारण राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति का परिणाम नौकरशाहों के हाथों में हिंडौला खा रहा है। अब समय आ गया है कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश अपने मंत्रालय के नाकामयाब कारनामे पर पर्दा डालने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून का रूप प्रदान करें और शेष मांगों पर सकारात्मक पहल कर समस्याओं का समाधान निकाले।

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