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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Tuesday 9 August 2011

हिंसा-प्रतिहिंसा में पिस रहे आदिवासी

रांची, वरीय संवाददाता : जल, जंगल, जमीन के साथ ही हिंसा, आपरेशन ग्रीन हंट आदि को लेकर तीन दिनों से चल रहा मंथन मंगलवार को रांची घोषणा पत्र जारी करने के साथ की समाप्त हो गया। तीन दिनों से चल रही वैचारिक बहस के अंतिम दिन आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ती हुई हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा गया कि हम देश के 150 सामाजिक संगठनों के लोग आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ती हुई हिंसा से चिंतित हैं। इन क्षेत्रों में व्याप्त और बढ़ती हुई हिंसा-प्रतिहिंसा के माहौल में न्यायपूर्ण, समतामूलक व मानवीय मूल्यों पर आधारित समाज के लिए काम करने की गुंजाइश संकुचित होती जा रही है। इस हिंसा के पीछे प्राकृतिक संसाधनों की लूट है। इसके कारण आज आदिवासी हिंसा-प्रतिहिंसा में पिस रहे हैं।

कहा गया कि विश्व आदिवासी दिवस व अगस्त क्रांति के मौके पर उपरोक्त संदर्भ में हम समान उद्देश्य वाले संगठनों और आंदोलनों के साथ मिलकर लोकतांत्रिक दायरे में संघर्ष, रचना एवं संवाद की रणनीति बनाकर सामना करेंगे। वंचित समात के हित में बनाए गए कानूनों, नियमों व नीतियों को अपनाकर पूरी गंभीरता व प्रतिबद्धता के साथ लागू करवाएंगे। राज्य पोषित हिंसा को समाप्त करने और अहिंसात्मक समाज की रचना के लिए संगठनात्मक ढांचा तैयार करेंगे। आदिवासी क्षेत्रों में आपरेशन ग्रीन हंट, सलवा जुडुम, एसपीओ जैसी सरकारी तथा अन्य चरमपंथी समूहों की हिंसात्मक कार्रवाइयों से लोग त्रस्त हैं, इन्हें तत्काल बंद किया जाए। चरमपंथी समूह हथियार छोड़ दें और इनको देशद्रोही की जगह राजनीतिक कार्यकर्ता का दर्जा देकर संवाद स्थापित किया जाए। डॉ. रोज केरकेट्टा की अध्यक्षता में उक्त निर्णय लिया गया। इस मौके पर प्रसून लतांत, पीवी राजगोपाल, एससी बेहर, बीरेंद्र कुमार, रेजन गुड़िया, घनश्याम, मोहनभाई महाराष्ट्री्र अशोक चौधरी, बाबूलाल जी आदि लोगों ने भाग लिया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/jharkhand/4_8_6266167.html

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