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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Friday 15 April 2011

231 दिन का सत्याग्रह

वंचितों के अधिकारों की रक्षा के लिए उड़ीसा में 231 दिन का सत्याग्रह -मीनाक्षी अरोरा
दिल्ली (पीएनएन)। भूखे को रोटी, बेञ्र को जमीन, शांति, और मानव अधिकारों की रक्षा के मुद्दों को लेकर एकता परिषद राज्य इकाई उड़ीसा ने भुवनेश्वर में गाँधी मार्ग पर अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 231 दिन के सत्याग्रह की शुरूआत की। सत्याग्रह के पहले दिन ही करीब 300 सत्याग्रहियों ने इसमें भाग लिया, जिसमें विभिन्न जिलों से आये एकता परिषद के आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी, राजनेताओं, विशेषज्ञ, नौकरशाह और मीडिया से जुड़े लोग शामिल हुए। सभी सत्याग्रही प्रात: दस बजे से लेकर शाम छ: बजे तक उपवास पर बैठे और प्रतिदिन यही सिलसिला जारी है। सभी ने उड़ीसा में दलितों और भूमिहीनों की समस्याओं पर रोशनी डाली। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे राज्य सरकार विकास के नाम पर हजारों एकड़ जमीन बहंराष्ट्रीय कंपनियों को दे रही है। कैसे खनन उद्योग और अभ्यारण्य के लिए लोगों को विस्थापित किया जा रहा है?
एकता परिषद के संस्थापक और गांधी शांति प्रतिष्ठान के उप सभापति पी वी राजगोपाल ने सत्याग्रहियों को संबोधित करते हुए बताया कि ‘यह वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर सत्याग्रह के शताब्दी के रूप में देखा जा रहा है। एकता परिषद भी अहिंसा में विश्वास करती है और गांधीवादी तरीके से ही चिल्का के परंपरागत मछुआरोेंं के अधिकारों की रक्षा और भूमिहीनों को जमीन देने के लिए सरकार पर दबाव डालने की कोशिश कर रही है।’
उड़ीसा के विभिन्न हिस्सों से आई महिलाओं ने ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ पर अपने मुद्दों और जमीन सम्बधिंत समस्याओं पर बोला और वादा किया कि जब तक सरकार भूमिहीनों को जमीन देने की कोई घोषणा नहीं करती तब तक वे भी सत्याग्रह में शामिल होंगी।
एकता परिषद के उड़ीसा के प्रदेश संचालक भारत भूषण ने बताया कि अनेक विचारों वाले संगटन उनके निर्णय के समर्थन में आगे आ रहे हैं। जनादेश 2007 की ओर सत्याग्रहीयों को आगे बढ़ने के लिए, जीविका के अधिकार का बचाने के लिए गांधीजनों को आगे आना होगा।
सामाजिक आंदोलनकारी डा. जूलियस (जर्मनी) डॉ ए वी स्वामी, डॉ बनवारी लाल शर्मा (आजादी बचाओ आंदोलन), राकेश दीक्षित (युवा भारत संगठन) जगनेस्वर बाबू, रञ्ुवीर (छत्तीसगढ़ एकता परिशद) आदि प्रमुख व्यक्तियों ने सत्याग्रह में हिस्सा लिया और आंदोलन का नेतृत्व किया।

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