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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Saturday 16 April 2011

लोकतंत्र की मजबूती के लिए अहिंसात्मक प्रयास जरूरी- पीवी राजगोपाल

ग्वालियर
लोकतंत्र की मजबूती में गरीबों और वंचितों का हित शामिल है। दक्षिण एशियाई देशों में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हिंसा और गरीबों की जमीन छीनने की साजिशों पर चिंता जाहिर करते हुए एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सापा के समन्वयक पीवी राजगोपाल ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए अहिंसात्मक प्रयास बहुत जरूरी हैं। यह बात उन्होंने दिसंबर को ग्वालियर स्थित विवेकानंद नीडम में हुई साउथ एशिया पीस एलायंस (सापा) की कोर कमेटी की बैठक में कही।
सापा के बैनर तले दक्षिण एशियाई देशों के प्रतिनिधियों ने यहां बैठक कर दक्षिण एशियाई देशों में चल रहे शांति प्रयासों पर चर्चा की। इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव और भारत की स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
श्रीलंका के पीस एंड कम्युनिटी एक्शन (पीसीआई) के दयापरन ने कहा कि दक्षिण एशिया के देशों में हिंसा के कारण आम नागरिकों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारें गरीबी उन्मूलन पर ध्यान देने के बजाय आंतरिक और बाह्यï सुरक्षा के नाम पर अरबों रुपए खर्च कर रही हैं। और आम आदमी गरीबी का जीवन जीने को मजबूर होता जा रहा है। नेपाल के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्युमन राइट्स कम्युनिकेशन की शोभा गौतम ने क्षेत्रीय पहचान का मुद्दा उठाते हुए दक्षिण एशियाई देशों में नागरिकों के बेरोकटोक आने जाने की स्वतंत्रता की वकालत की। पाकिस्तान के करामत अली ने भारत और पाकिस्तान में बढ़ रहे उग्र्रवाद और आतंकवाद से निपटने के लिए साझा प्रयास करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऊपर बैठे हुक्मरान नहीं चाहते कि दोनों मुल्कों के लोग आपस में मिलें। जब तक दोनों देशों के लोग आपस में इंटरेक्शन नहीं करेंगे तब तक उनमें दोस्ती नहीं हो सकती। उनके जेहन से दुश्मनी निकालना बहुत जरूरी है, तभी शांति कायम हो सकती है। उन्होंने कहा कि यूरोप के देशों को भी दो महायुद्ध लडऩे के बाद एक होना पड़ा। हमारे पास भी वही रास्ता है जंग किसी भी मसले का हल नहीं है। हमारे देशों में गरीबों की संख्या ज्यादा है बावजूद हमारे देशों का बजट आर्मी पर सबसे ज्यादा खर्च होता है। पाकिस्तान की जीडीपी का छह फीसद और भारत की जीडीपी का चार फीसद रक्षा बजट पर खर्च हो जाता है। जबकि गरीबी उन्मूलन पर एक फीसद ही खर्च हो पाता है।
बांग्लादेश के गण उन्नयन प्रतिष्ठा के नसीरुद्दीन अहमद ने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों में सांस्कृतिक और धार्मिक समानता है। यहां के लोग एक दूसरे से जुड़े हुए है फिर भी इन देशों के नागरिकों को एक दूसरे के देश में जाने के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इस बैठक का संचालन क्वैकर्स पीस एंड जस्टिस,इंग्लैंड के स्टुअर्ट मॉर्टन ने किया।
इस बैठक में सात देशों के 24 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सापा की भारतीय इकाई के समन्वयक अनिल कुमार गुप्ता, हैदराबाद स्थित कोवा संस्था के मजहर भाई, संसद नई दिल्ली के अनिल सिंह, गांधी शांति प्रतिष्ठान के बाबूलाल शर्मा, सापा के विजय भारतीय, एकता परिषद के रनसिंह परमार, नेपाल की पत्रकार गंगा गुरुंग भी इस बैठक में शामिल हुईं।

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