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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Friday 15 April 2011

राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति लालफीताशाही का शिकार:राजगोपाल

 

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पटना. एकता परिषद के तत्वावधान में सोमवार को अनुग्रह नारायण सिंह समाज आजीविका का अधिकार विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य पी वी राजगोपाल ने कहा कि आजादी के 63 वर्ष के बाद भी सरकार के द्वारा संकल्पित की गई आवासीय भूमिहीनों को आवासीय भूमि उपलब्ध कराने में फिसड्डी साबित हो रही है. केन्द्र में राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति और राज्य में भूमि सुधार आयोग की अनुशंसा लालफीताशाही का शिकार है. सरकार भूमि सुधार के मसले पर आगे बढ़ने को तैयार नहीं है.
इस अवसर पर समाज अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रो डीएन दिवाकर ने कहा कि जमीन का सवाल जीवन का सवाल है. जीवन के सवाल को बाजार और कानून के द्वारा समाधान करने की जरूरत नहीं हैं, इसे मानवीयता के साथ ढूंढ़ने की आवश्यकता है. इस संगोष्ठी में राज्य के चालीस से अधिक जनसंगठन एवं संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
इस अवसर पर एकता परिषद एवं अन्य संगठनों में जन सत्याग्रह 2012 की तैयारी युद्धस्तर पर करने की बात कही जो सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में सरकार को चुनौती देने लायक हो सके, राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य पी वी राजगोपाल के द्वारा आगामी 2 अक्टूबर को कन्याकुमारी से प्रारंभ राष्ट्रीय संदेश यात्रा को सफल बनाने पर भी बल दिया गया. संगोष्ठी का संचालन एकता परिषद के राज्य समन्वयक प्रदीप प्रियदर्शी ने किया.
इस अवसर पर शत्रुघ्न कुमार, अनिल पासवान, सिंधु सिन्हा, वशिष्ठ कुमार सिंह, असरीता टोप्पो, अजय चौधरी, फादर जोश, रजना आदि उपस्थित थे.

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