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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Saturday 16 April 2011

दिसंबर से अब तक विस्थापितों का सत्याग्रह

दिसंबर से अब तक विस्थापितों का सत्याग्रह

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बिहार में पूस (दिसंबर) की ठंडक की परवाह किये बिना अब चैत (मार्च- अप्रैल) की गरमी की दस्तक के बीच में भी रेल परियोजना से विस्थापित वंचित समुदाय के द्वारा सत्याग्रह किया गया जा रहा है. सनद रहे कि पूर्व-मध्य रेलवे परियोजना के तहत दीघा से सोनपुर तक रेल और सड़क सेतु निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना से रेल पटरी के किनारे रहने वाले विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर हैं. विस्थापन के पहले पुनर्वास की मांग को लेकर टेसलाल वर्मा नगर के विस्थापित परिवार सत्याग्रह करने को मजबूर हो रहे हैं. मौके पर दानापुर के अंचलाधिकारी मदन कुमार सिन्हा ने विस्थापितों को जमीन देकर पुनर्वास कराने का भरोसा दिया. यह सत्याग्रह 25 दिसंबर 2010 से शुरू किया गया है. टेशलाल वर्मा के सुनीता देवी के झोपड़ी के सामने सत्याग्रह जारी है.
एकता परिषद बिहार के पटना सदर के प्रखंड समन्वयक सुनील कुमार ने बताया कि दानापुर प्रखंड के रूपसपुर थानान्तर्गत अन्तर्गत दीघा नहर के तटबंध पर वर्ष 1970 से यानी 40 वर्षों से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले विस्थापन का दंश झेलने को बाध्य हैं. इस बीच पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा गंगा रेल-सह-सड़क सेतु निर्माण किया जा रहा है. अभी जो रेलवे परियोजना का कार्य चल रहा है, वहां पर ही टेसलाल वर्मा नगर के लोग रहते थे. उनको वहां से हटा दिया गया.
लोग अपने सुविधा के अनुसार दीघा नहर के किनारे आशियाना बनाकर रहने लगे. तब से ही भूमिहीन और गृह विहिन दलित/अति पिछड़ा/ पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब और लाचार लोग रहते आ रहे हैं. सभी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं. हम लोगों की परिस्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने 2002-2003 में बसाने के लिए जमीन अधिग्रहण करने की कार्रवाई शुरू की थी.
पूमरे के द्वारा गंगा रेल-सह-सड़क सेतु निर्माण किया जा रहा है. इस निर्माण से दीघा नहर के किनारे रहने वाले टेशलाल वर्मा नगर के 274, जलालपुर नहर पर के 78 और दीघा बिन्द टोली के 404 से यानी 756 से अधिक परिवारों के आशियाना उजरने की समस्या बन गयी है. इसके अलावा सड़क चौड़ीकरण परियोजना से 684 से अधिक परिवारों के आशियाना पर वज्रपात होने वाला है. इस तरह रेल सेतु और सड़क चौड़ीकरण की समस्या से 1440 परिवारों पर उजरने की तलवार लटक रही है.  सभी लोग खौफ के साये में जीने को बाध्य हैं.
रूपसपुर थाना क्षेत्र के टेसलाल वर्मा नगर, जलालपुर नहर पर, दीघा बिन्ट टोली, अभिमन्यु नगर, चुल्हाईचक, हरिदासपुर और प्रेमनगर(कुश्त  आश्रम) के हजारों की संख्या में नर-नारी और बच्चों ने चिलचिलाती धूप की परवाह किये बिना कतारबद्ध जुलूस में शिरकत किया. अपने हाथों में लिखित कार्ड लेकर नारा लगाते हुए चल रहे थे. ‘हर हाथ को काम चाहिए बंदुक नहीं कुदाल चाहिए‘ रेल विस्थापितों को पुनर्वासित करना होगा, एकता परिषद जिन्दाबाद, जिन्दाबाद, रेल और सड़क निर्माण के बदले गरीबों पर दमन बंद करों, जो वादा किए हैं निभाना पड़ेगा आदि था. इसी तरह का गगनभेदी नारा भी लगा रहे थे.
विस्थापित होने का दंश झेलने वाले प्रभावितों की मांग है कि गंगा रेल-सह-सड़क सेतु निर्माण से विस्थापित होने वाले टेश लाल वर्मा नगर के 274, जलालपुर नहर पर के 78 और दीघा बिन्ट टोली के 404 यानी 756 परिवारों से अधिक लोगों को शीघ्र पुनर्वास करें, सड़क चौड़ीकरण से प्रभावित अभिमन्यु नगर, चुल्हाईचक, हरिदासपुर और प्रेमनगर(कुश्ठ आश्रम) के 684 परिवारों से अधिक को भी शीघ्र पुनर्वासित करें, मुख्यमंत्री के द्वारा शोषित महादलित परिवारों को चार डिसमिल जमीन देने की प्रक्रिया शुरू करके जलालपुर बड़ी, शवरी नगर (नहर पर) और सादिकपुर रूकनपुरा के महादलित 408 परिवारों को सरकारी वादानुसार जमीन उपलब्ध कराएं.
दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से एपीएल में डाल दिये गए सभी महादलितों को ‘अन्त्योदय योजना‘ के तहत लाकर सभी महादलितों को पीला कार्ड निर्गत किया जाएं, राशन-किरासन में हो रहे कालाबाजारी पर अकुंश लगाकर कार्डधारियों को 35 किलोग्राम राशन उपलब्ध कराया जाएं और छुट गये बीपीएल श्रेणी के आहर्ताओं का सर्वेक्षण करके बीपीएल कार्ड इशु किया जाएं. इस बीच दानापुर अनुमंडल के डीसीएलआर आलोक कुमार ने विस्थापन के दंश झेलने वाले वंचित समुदाय को हरहाल में पुनर्वास करा देने की बात कर रहे हैं. सभी के निगाहे श्री कुमार के ऊपर केन्द्रित है.

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