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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Sunday 17 April 2011

रूपम मामले में बिहार सरकार की धोखाधड़ी

रूपम पाठक के मामले में सीबीआई की जांच को  बिहार सरकार का रवैया यहां की जनता के साथ धोखाधड़ी पूर्ण है। महिला संगठनों के दबाव में बिहार सरकार ने इस केस को सीबीआई के हवाले कर दिया था लेकिन इसका संदर्भ सिर्फ विधायक की हत्या के रूप में सीबीआई को प्रस्तावित किया गया था। यानि सीबीआई सिर्फ इस बात की ही जांच करेगी कि विधायक की हत्या कैसे हुई, किन परिस्थितियों में हुई पत्रकार नवलेश पाठक की इस हत्या में क्या भूमिका है। सीबीआई रूपम पाठक के यौन शोषण की मामले की जांच नहीं करेगी। बिहार सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक यह सीबीआई के जांच के दायरे में नहीं होगा।
बिहार विमेंस नेटवर्क, बिहार लोक अधिकार मंच, एकता परिषद, लोक परिषद आओ बहना, इप्टा, बिहार दलित अधिकार मंच, समर, परिवर्तन जन आंदोलन द्वारा इस मामले में सरकारी चालबाजियों को उजागर करने के लिए 4 फरवरी 2011 पटना में प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया गया है। इस मार्च के माध्यम से निम्नलिखित मांगे की जा रही हैं।
रुपम पाठक के प्रति लोगों की सहानुभूति को देखते हुये उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ही इसकी जांच सीबीआई से कराने की पेशकश की थी, हालांकि इसके पहले ही वे पूर्णिया के विधायक राजकिशोर केसरी को एक आदर्श पुरुष की उपाधि दे चुके थे।  बिहार के लोग उस समय उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार पर काफी भड़के हुये थे। दबाव में आकर उन्होंने रूपम मामले की सीबीआई जांच कराने की बात तो उन्होंने कर दी लेकिन टेक्निकल लोचा लगाकर एक शातिर खेल खेल गये।  फिलहाल बिहार में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के इस्तीफे की आवाज बुलंद हो रही है। और बिहार की जनता के साथ जिस तरह से उन्होंने धोखाधड़ी की है उसे लेकर रोष है। नवलेश पाठक अभी भी हिरासत में हैं।

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