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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Monday 18 April 2011

महिलाओं के नाम से हो जमीन का पट्टा: सुधा

रांची । एकता परिषद की ओर से आयोजित 'वंचितों की संसद' में ग्यारह जिलों के ग्रामीणों ने जमीन और आजीविका ले अपनी समस्याएं सुनाई। इस मौके पर मुख्य अतिथि समाज कल्याण, महिला व बाल विकास व पर्यटन मंत्री सुधा चौधरी ने कहा कि झारखंडी अस्मिता सुरक्षित तभी रहेगी, जब जल, जंगल, जमीन सुरक्षित रहेगा। उन्होंने पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि महिलाओं के नाम से जमीन का पट्टा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड का सपना तभी साकार होगा, जब यहां की 70 प्रतिशत जनता सचेत होगी। वे सोमवार को पटेल धर्मशाला, लालपुर में एकता मंच द्वारा आयोजित जमीन, जंगल और आजीविका विषय पर दो दिवसीय सेमिनार में उद्घाटन के मौके पर बोल रही थीं। इस मौके पर एकता महिला मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष जिलकार हेरिस भी उपस्थित थी। इस मौके पर दयामनी बरला ने कहा कि सरकार कंपनियों को जमीन दे रही है। यहां की एक-एक इंच हम लोगों की है। यदि सरकार जबरन जमीन लेगी तो हम संघर्ष को बाध्य होंगे। संजय बसु मलिक ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जिस तरह अपनी जमीन बचाने के लिए अंग्रेजों से संघर्ष किया, आज हमें उसी रास्ते पर चलना होगा। जल, जंगल हम लोगों के लिए जरूरी है, यूरेनियम नहीं। वहीं हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रश्मि कात्यायन ने भूमि अधिकार के कानूनी पहलुओं की जानकारी दी। मौके पर बलराम व डा. हरिश्वर दयाल ने नरेगा पर अपने विचार रखे। विषय प्रवेश विरेंद्र कुमार ने किया। उन्होंने गांवों में जमीन की जटिलता के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम के बाद एकता मंच के सदस्यों ने सूबे के मुख्यमंत्री को चार सूत्रीय मांगों का एक ज्ञापन सौंपा। इस कार्यक्रम में पलामू से ललिता देवी, धनबाद से सुषमा, बुधवा मांझी ने अपनी समस्याएं रखीं। कार्यक्रम में सात सौ से ऊपर ग्रामीण उपस्थित थे।

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