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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Friday 15 April 2011

‘दिल्ली पर चढ़ाई जारी है अब तो बिहार की बारी है‘

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पटना. गैरसरकारी संगठन एकता परिषद ने जन सत्याग्रह 2012 पदयात्रा का शंखनाद किया है. राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति गठित करने के बाद समिति के सदस्यों ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति तैयार करके परिषद के अध्यक्ष के द्वारा प्रधानमंत्री को सौंप दिया है. मगर परिषद की बैठक नहीं बुलायी गयी और न ही राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून का ही रूप ही दिया जा सका. इसके अलावा कई अन्य मांग भी शामिल है. केन्द्र सरकार के ना नुकूर करने पर एकता परिषद ने जन सत्याग्रह 2012 जनांदोलन घोषित कर रखा है.
गौरतलब है कि इससे पहले एकता परिषद के करीब 12 हजार कार्यकर्ता रामलीला मैदान में डट कर चेतावनी सभा और संसद कूच कर चुके हैं. अब बिहार के एकता परिषद के कार्यकर्ताओं के द्वारा नारा बुलंद किया जा रहा है कि ‘दिल्ली पर चढ़ाई जारी है अब तो बिहार की बारी है‘. बिहार के एकता परिषद के राज्य संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सभागार में कार्यकर्ताओं की बैठक की गयी. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि भूमि अधिकार संबंधी मुद्दों को ज्वलंत बनाने के लिए बिहार में भी भूमि अधिकार रैली 7 जून को किया जाए. केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा भूमि सुधार को नकारा साबित किया जा रहा है. इस दिशा में दोनों सरकार असंवेदनशील है.
केन्द्र सरकार के पास राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति और बिहार सरकार के पास भूमि सुधार आयोग की अनुशंसा लम्बित है. शांतिपूर्ण ढंग से संवाद और संघर्ष करने वालों को उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया जा रहा है. सत्य और अहिंसात्मक आंदोलन करवाने वालों से सरकार संवाद करने से कतरा रही है. इसके कारण सरकार और जन संगठनों की बीच संवादहीनता उत्पन्न हो गयी है. ऐसी हालात में कहीं ‘हर हाथ को काम चाहिए बंदूक नहीं कुदाल चाहिए’ का नारा लगाने वाले यू टर्न करके काम नहीं बनने के एवज में बंदूक उठा ले तो देश में अराजकता की स्थिति बन जायेगी. इसको रोक पाना सरकार के बूते के बाहर की बात हो जाएगी.
प्रियदर्शी ने कहा कि रैली के आलोक में कार्यकर्ता अपने कार्यक्षेत्र के गांवों में जाकर जमीन की जमीनी हकीकत का आवलोकन एवं सर्वे करेंगे. उनकी अघतन जानकारी हासिल करेंगे. गांव में कितने आवासीय भूमिहीन, भूमिहीन, गैरमजरूआ भूमि, बेनामी भूमि आदि है, इसी को आधार बनाकर जमीन की जंग करेंगे.

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