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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Monday 18 April 2011

एकता परिषद के महिला विंग की स्व. रामकुमा को श्रद्धांजलि

रायगढ़ । स्व. रामकुमार जी सर्वहारा वर्ग के नेता ही नहीं एक महामानव थे। जिनके मन में हमेशा समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति समुदाय के संसाधन, आजीविका तथा उनका जीवन स्तर उठाने को लेकर अंर्तसंघर्ष चलता रहता था। वे एकता परिषद, संघर्ष मोर्चा, प्रयोग समाजसेवी संस्था जैसे विभिन्न दिशाओं में काम करने वाले जन संगठनों के प्रेरणा स्त्रोत रहे। हम उनके काम को मिलजुल कर आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराते हैं।

एकता परिषद के महिला विंग की सबसे सक्रिय सदस्य और एकता महिला मंच की राष्ट्रीय संयोजक जिल बहन ने आज इस आशय के विचार स्व. रामकुमार जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए व्यक्त किये।

मूलत: कनाड़ा निवासी जिल बहन, एकता परिषद मध्य प्रदेश की संयोजिका प्रीति तिवारी, एकता परिषद छत्तीसगढ़ के प्रांतीय संयोजक प्रशांत कुमार तथा प्रयोग समाज सेवी संस्था तिल्दा-भाटापारा की ग्लोरिया बहन के साथ आज अपरान्ह सड़क मार्ग से यहां पहुंची। रायगढ़ में स्व. रामकुमार जी के निवास पर उनके छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद हमारे संवाददाता से विशेष चर्चा के दौरान जिल बहन ने बताया कि वे कई कार्यक्रमों में स्व. रामकुमार जी के साथ सहभागी रही हैं। वे थिंक टैंक थे और सर्वहारा वर्ग के उत्थान के लिए प्रयासरत संगठनों को प्रेरणा देते रहते थे। वे हमारे काम करने के जज्बे के लिए प्राणवायु के समान थे।

स्व.रामकुमार जी से प्रारंभिक परिचय के संबंध में जिल बहन ने बताया कि वर्ष 1998 में सत्यभामा प्रकरण के दौरान स्व.रामकुमार जी तथा एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी.वी.राजगोपाल जी निकट आए थे और उसके बाद से उनका साथ जीवन पर्यन्त बना रहा। यहां तक कि राजगोपाल जी देश के किसी भी कार्यक्रम या सभा में रामकुमार जी की जीवटता तथा संघर्ष की क्षमता का लोगों से आंकलन करने और उनका अनुशरण करने की बात कहते थे।

रामकुमार जी से उनका साक्षात वर्ष 2000 में अविभाजित मध्य प्रदेश के समय भू-अधिकार पदयात्रा के दौरान हुआ और तब से वे इस चमत्कारिक व्यक्तित्व से सबसे अधिक प्रभावित रहीं। जून 2000 में भू अधिकार पदयात्रा के दौरान रायगढ़ में महापंचायत का आयोजन किया गया था जिसमें रामकुमार जी की प्रेरणा से आसपास तथा दूर दराज के गांवों से पांच हजार से अधिक ग्रामीण महिलाएं पुरूष इकट्ठे हुए थे। इस महापंचायत में उन्हें रामकुमार जी को निकट से जानने का अवसर मिला।

वर्ष 2002 में रामकुमार जी की प्रेरणा से ही उन्होंने तथा राजा जी ने ह्यूमन राईट कमीशन की लीगल एडवाइजर स्वीस महिला लियोना को केलो नदी के प्रदूषण का अध्ययन तथा उद्योगों से होने वाले प्रदूषण का आंकलन करने के लिए रायगढ़ भेजा। मैडम लियोना ने यहां केलो नदी सहित शहर के आसपास के विभिन्न भू-भागों का माह भर तक गहन अध्ययन किया। इस दौरान रामकुमार जी ने केलो नदी के पानी का उद्योगों द्वारा दोहन तथा पानी के गंदा होने पर गहरी चिंता जाहिर की थी।

वर्ष 2005 में उन्होंने राबो से रायपुर तक होने वाली छत्तीसगढ़ बचाओ पदयात्रा तथा महापल्ली में आयोजित विशाल सभा के आयोजन में रामकुमार जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया वे सही मायनों में विचारों से महामना थे। रायगढ़ की वर्तमान पृष्ठभूमि को छत्तीसगढ़ तथा दिल्ली में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फोकस में लाने का श्रेय वे स्व. रामकुमार जी को ही देंगी।

राष्ट्रीय एकता परिषद उनकी सोच, उनके संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए उनके जैसे विचारों से अनुप्राणिक होने वाले लोगों को जोड़कर एक ट्रस्ट का गठन करेगा जो रायगढ़ की अस्मिता के लिए आगे भी मिल जुलकर संघर्ष जारी रखेगा और एकता परिषद सहित समस्त जनसेवी संगठनों की इसमें सहभागिता होगी।

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