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एकता परिषद भू अधिकार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसात्मक जन आंदोलन है. लोगों की आवाज सुनी जाए इसके लिए एक बड़े पैमाने की राष्ट्री अभियान की नींव रखी गयी थी, जिसे जनादेश 2007 कहा गया, जिसके माध्यम से 25 हजार लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच कर अपनी आवाज बुलंद की.

Friday 15 April 2011

राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून का रूप देने का किया आग्रह

राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून का रूप देने का किया आग्रह

IMG_1162 जन संगठन एकता परिषद के जनादेश से जन सत्याग्रह की ओर जन सत्याग्रह चेतावनी सभा का आयोजन 6 से 8 मार्च तक नयी दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में की गयी थी। 6 मार्च को जन सत्याग्रह चेतावनी सभा, 7 मार्च को संसद कूच और 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का कार्यक्रम का ऐलान किया गया था। इस बीच विश्व कप मैच 7 मार्च को नयी दिल्ली स्थित फिरोजशाह कोटला मैदान में कीनिया और कनाडा के बीच में होना था।
इसके आलोक में दिल्ली पुलिस प्रशासन ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर लगभग संसद कूच पर लगाम लगा ही दिया था। इसको लेकर परिषद के लोगों में आक्रोश व्याप्त था। गांधी शांति प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष और एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष पी व्ही राजगोपाल ने 6 मार्च को उपवास कर दिया। इसके कारण दिल्ली प्रशासन का दिल पिघला। इस तरह बापू के राज में अहिंसात्मक आंदोलन की विजय हो गयी।
सर्वविदित है कि राष्ट्रपति महत्मा गांधी, भूदान आंदोलन के प्रणेता विनोबा भावे और संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण के द्वारा अहिंसात्मक आंदोलन किया गया था। अब गांधी शांति प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष और एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष पी व्ही राजगोपाल जी के द्वारा भूमि अधिकार आंदोलन किया जा रहा है। जन संगठन एकता परिषद के द्वारा वर्ष 2007 में एकता परिषद के नेतृत्व में 25 हजार भूमिहीनों, किसानों और मजदूरों ने ग्वालियर से दिल्ली पदयात्रा की थी और सरकार से संवाद किया था। यूपीए के केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने 29 अक्तूबर 2007 को भारत सरकार के राजदूत बनकर रामलीला मैदान में आकर सत्याग्रहियों की मांग एकसिरे से स्वीकार कर राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति का गठन करने का एलान किया। प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डा. रघुवंश प्रसाद सिंह जी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति गठित की गयी। राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति ने वर्ष 2009 में राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति तैयार करके प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद को सौंप दिया। इसको लेकर एक बार परिषद की बैठक की गयी। इसके बाद राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद की बैठक नहीं बुलायी गयी।
वर्ष 2009 से राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति भारत सरकार के समक्ष लम्बित है। एकता परिषद और सहयोगी संगठनों ने माननीय प्रधानमंत्री जी से लगातार संवाद जारी रखने की कोशिश की ताकि राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष के रूप में माननीय प्रधानमंत्री जी परिषद की बैठक आयोजित कर यथाशीघ्र राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा करें। आज  भारत सरकार ने भूमिहीनों और वंचित के भूमि और जीविकोपार्जन के अधिकार सुनिश्चित करने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया है जिसका परिणाम है कि लाखों लोग भूमि और खेती के अधिकार से वंचित किये जा रहे है। देश में पंचायत विस्तार अधिनियम, 1996 का अबतक जमीन क्रियान्वयन अधूरा है जिसकी वजह से अधिसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के अधिकारों की उपेक्षा हो रही है। एक ओर वनाधिकार अधिनियम 2006 के बाद भी उन्हें भूमि अधिकार से वंचित रखा जा रहा है तो दूसरी और औघोगिक व उत्खनन योजनाओं के नाम पर बेदखली जारी है। इसी तरह देश भर में दलितों के हाथों से भूमि छीनी जा रही है जिसे रोकने के लिये मौजूदा कानून और व्यवस्था, प्रभावी साबित नहीं हो रहे है। समुद्र तटीय राज्यों में बड़े पैमाने पर मछुआरों के अधिकारों का हनन हो रहा है। देश में करोड़ों घुमतू जातियों -जनजातियों के लिये किसी भी तरह का भूमि अधिकार कानून अब तक लागू नहीं किया गया है जिसकी वजह से उनके समक्ष जीविकोपार्जन का गंभीर संकट खड़ा है। एकता परिषद के नेतृत्व में इन सभी भूमिहीनों और वंचितों ने संकल्प लिया है कि यदि भारत सरकार राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति घोषित कर हमारे अधिकारों को सुनिश्चित नहीं करती तो अक्टूबर 2012 में एक लाख लोग संसद की ओर कूच करेगें और एक निर्णायक संघर्ष शुरू करेंगे।कुल 200 अनुशंषाओं को लेकर प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में 28 मार्च को राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद की बैठक की जाएगी।
जन संगठन एकता परिषद के द्वारा जनादेश 2007 में सत्याग्रह पदयात्रा की थी। सत्याग्रह पदयात्रा के समापन पर राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति घोषित की गयी। इसका परिणाम राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बन सकी। राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष प्रधानमंत्री ने एक बार बैठक बुलायी। इसके बाद नीति लागू करने के लिए भूल गये। उसी तरह एन.डी.ए. सरकार ने भूमि सुधार आयोग बनायी। आयोग के अध्यक्ष डी बंधोपाध्याय द्वारा की गयी अनुशंषाओं को लागू करने के लिए आगे नहीं आये। दोनों सरकार भूमि सुधार संबंधी कार्य करने के लिए उत्साहित नहीं है।

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