नई दिल्ली.गांधीवादी जन संगठन ‘एकता परिषद’ ने जीवन जीने के मूलभूत संसाधनों जल, जंगल, जमीन से वंचित लाखों भूमिहिनों, विस्थापितों को हक और न्याय दिलाने के लिए ‘जन सत्याग्रह-2012’ की घोषणा की है।
परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्र की राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य पीवी राजगोपाल ने केंद्र की यूपीए सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2007 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद ने जल, जंगल व जमीन पर समाज के हर तबके के एक समान अधिकार को स्वीकार करते हुए कई सुधारात्मक कदम उठाने के वादे किए थे, लेकिन अभी तक कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए।
यहां तक कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय भूमि परिषद की आज तक एक भी बैठक नहीं हुई है।
उन्होंने केंद्र के उदासीन रवैए पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकारों (केंद्र और राज्य) को अहिंसात्मक जनांदोलनों की चिंता नहीं है। वे माओवाद और गांधीवाद को एक तराजू में तौल कर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहती हैं।
परिषद की ओर से ‘जन सत्याग्रह-2012’ से पहले केंद्र पर राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति लागू करने का दबाव बनाने के लिए छह से आठ मार्च को रामलीला मैदान में चेतावनी सभा आयोजित की जा रही है, जिसमें देशभर से वंचित समुदाय के दस हजार लोग (आदिवासी, दलित और मजदूर) शामिल होंगे।
उन्होंने व्यवस्था परिवर्तन पर जोर देते हुए कहा, ‘इस देश में 1947 और 1974 में सत्ता परिवर्तन के लिए तो लड़ाई हुई है लेकिन आज तक व्यवस्था परिवर्तन के लिए कोई लड़ाई नहीं हुई।’
एकता परिषद 2 अक्टूबर 2012 को ‘जनसत्याग्रह-2012’ के लिए एक लाख लोग ग्वालियर से दिल्ली की ओर पदयात्रा करेंगे। उन्होंने बताया की छह, सात और आठ मार्च को दिल्ली में केंद्र को चेतावनी देने के बाद जनांदोलन के लिए गांव-गांव जाकर 2 अक्टूबर 2012 में ग्वालियर पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।
याद रहे कि एकता परिषद द्वारा वर्ष 2007 में आयोजित ‘जनादेश-2007’ में पच्चीस हजार लोगों ने ग्वालियर से दिल्ली तक पैदल यात्रा की थी।
देश में क्रिकेट ज्यादा जरूरी है या आम आदमी-
परिषद द्वारा सात तारीख को संसद तक मार्च करने पर सरकार की ओर से मनाही करने पर कड़ा ऐतराज जताते हुए परिषद के अध्यक्ष राजगोपाल ने कहा, ‘सरकार ने सात मार्च को संसद के सामने प्रदर्शन पर यह कहकर अनुमति नहीं दी की इस दिन दिल्ली में एक अहम क्रिकेट मैच होने जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस देश में क्रिकेट ज्यादा जरूरी है या आम आदमी।’
परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्र की राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य पीवी राजगोपाल ने केंद्र की यूपीए सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2007 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद ने जल, जंगल व जमीन पर समाज के हर तबके के एक समान अधिकार को स्वीकार करते हुए कई सुधारात्मक कदम उठाने के वादे किए थे, लेकिन अभी तक कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए।
यहां तक कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय भूमि परिषद की आज तक एक भी बैठक नहीं हुई है।
उन्होंने केंद्र के उदासीन रवैए पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकारों (केंद्र और राज्य) को अहिंसात्मक जनांदोलनों की चिंता नहीं है। वे माओवाद और गांधीवाद को एक तराजू में तौल कर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहती हैं।
परिषद की ओर से ‘जन सत्याग्रह-2012’ से पहले केंद्र पर राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति लागू करने का दबाव बनाने के लिए छह से आठ मार्च को रामलीला मैदान में चेतावनी सभा आयोजित की जा रही है, जिसमें देशभर से वंचित समुदाय के दस हजार लोग (आदिवासी, दलित और मजदूर) शामिल होंगे।
उन्होंने व्यवस्था परिवर्तन पर जोर देते हुए कहा, ‘इस देश में 1947 और 1974 में सत्ता परिवर्तन के लिए तो लड़ाई हुई है लेकिन आज तक व्यवस्था परिवर्तन के लिए कोई लड़ाई नहीं हुई।’
एकता परिषद 2 अक्टूबर 2012 को ‘जनसत्याग्रह-2012’ के लिए एक लाख लोग ग्वालियर से दिल्ली की ओर पदयात्रा करेंगे। उन्होंने बताया की छह, सात और आठ मार्च को दिल्ली में केंद्र को चेतावनी देने के बाद जनांदोलन के लिए गांव-गांव जाकर 2 अक्टूबर 2012 में ग्वालियर पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।
याद रहे कि एकता परिषद द्वारा वर्ष 2007 में आयोजित ‘जनादेश-2007’ में पच्चीस हजार लोगों ने ग्वालियर से दिल्ली तक पैदल यात्रा की थी।
देश में क्रिकेट ज्यादा जरूरी है या आम आदमी-
परिषद द्वारा सात तारीख को संसद तक मार्च करने पर सरकार की ओर से मनाही करने पर कड़ा ऐतराज जताते हुए परिषद के अध्यक्ष राजगोपाल ने कहा, ‘सरकार ने सात मार्च को संसद के सामने प्रदर्शन पर यह कहकर अनुमति नहीं दी की इस दिन दिल्ली में एक अहम क्रिकेट मैच होने जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस देश में क्रिकेट ज्यादा जरूरी है या आम आदमी।’
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