रायगढ़ । स्व. रामकुमार जी सर्वहारा वर्ग के नेता ही नहीं एक महामानव थे। जिनके मन में हमेशा समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति समुदाय के संसाधन, आजीविका तथा उनका जीवन स्तर उठाने को लेकर अंर्तसंघर्ष चलता रहता था। वे एकता परिषद, संघर्ष मोर्चा, प्रयोग समाजसेवी संस्था जैसे विभिन्न दिशाओं में काम करने वाले जन संगठनों के प्रेरणा स्त्रोत रहे। हम उनके काम को मिलजुल कर आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराते हैं।
एकता परिषद के महिला विंग की सबसे सक्रिय सदस्य और एकता महिला मंच की राष्ट्रीय संयोजक जिल बहन ने आज इस आशय के विचार स्व. रामकुमार जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए व्यक्त किये।
मूलत: कनाड़ा निवासी जिल बहन, एकता परिषद मध्य प्रदेश की संयोजिका प्रीति तिवारी, एकता परिषद छत्तीसगढ़ के प्रांतीय संयोजक प्रशांत कुमार तथा प्रयोग समाज सेवी संस्था तिल्दा-भाटापारा की ग्लोरिया बहन के साथ आज अपरान्ह सड़क मार्ग से यहां पहुंची। रायगढ़ में स्व. रामकुमार जी के निवास पर उनके छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद हमारे संवाददाता से विशेष चर्चा के दौरान जिल बहन ने बताया कि वे कई कार्यक्रमों में स्व. रामकुमार जी के साथ सहभागी रही हैं। वे थिंक टैंक थे और सर्वहारा वर्ग के उत्थान के लिए प्रयासरत संगठनों को प्रेरणा देते रहते थे। वे हमारे काम करने के जज्बे के लिए प्राणवायु के समान थे।
स्व.रामकुमार जी से प्रारंभिक परिचय के संबंध में जिल बहन ने बताया कि वर्ष 1998 में सत्यभामा प्रकरण के दौरान स्व.रामकुमार जी तथा एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी.वी.राजगोपाल जी निकट आए थे और उसके बाद से उनका साथ जीवन पर्यन्त बना रहा। यहां तक कि राजगोपाल जी देश के किसी भी कार्यक्रम या सभा में रामकुमार जी की जीवटता तथा संघर्ष की क्षमता का लोगों से आंकलन करने और उनका अनुशरण करने की बात कहते थे।
रामकुमार जी से उनका साक्षात वर्ष 2000 में अविभाजित मध्य प्रदेश के समय भू-अधिकार पदयात्रा के दौरान हुआ और तब से वे इस चमत्कारिक व्यक्तित्व से सबसे अधिक प्रभावित रहीं। जून 2000 में भू अधिकार पदयात्रा के दौरान रायगढ़ में महापंचायत का आयोजन किया गया था जिसमें रामकुमार जी की प्रेरणा से आसपास तथा दूर दराज के गांवों से पांच हजार से अधिक ग्रामीण महिलाएं पुरूष इकट्ठे हुए थे। इस महापंचायत में उन्हें रामकुमार जी को निकट से जानने का अवसर मिला।
वर्ष 2002 में रामकुमार जी की प्रेरणा से ही उन्होंने तथा राजा जी ने ह्यूमन राईट कमीशन की लीगल एडवाइजर स्वीस महिला लियोना को केलो नदी के प्रदूषण का अध्ययन तथा उद्योगों से होने वाले प्रदूषण का आंकलन करने के लिए रायगढ़ भेजा। मैडम लियोना ने यहां केलो नदी सहित शहर के आसपास के विभिन्न भू-भागों का माह भर तक गहन अध्ययन किया। इस दौरान रामकुमार जी ने केलो नदी के पानी का उद्योगों द्वारा दोहन तथा पानी के गंदा होने पर गहरी चिंता जाहिर की थी।
वर्ष 2005 में उन्होंने राबो से रायपुर तक होने वाली छत्तीसगढ़ बचाओ पदयात्रा तथा महापल्ली में आयोजित विशाल सभा के आयोजन में रामकुमार जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया वे सही मायनों में विचारों से महामना थे। रायगढ़ की वर्तमान पृष्ठभूमि को छत्तीसगढ़ तथा दिल्ली में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फोकस में लाने का श्रेय वे स्व. रामकुमार जी को ही देंगी।
राष्ट्रीय एकता परिषद उनकी सोच, उनके संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए उनके जैसे विचारों से अनुप्राणिक होने वाले लोगों को जोड़कर एक ट्रस्ट का गठन करेगा जो रायगढ़ की अस्मिता के लिए आगे भी मिल जुलकर संघर्ष जारी रखेगा और एकता परिषद सहित समस्त जनसेवी संगठनों की इसमें सहभागिता होगी।
एकता परिषद के महिला विंग की सबसे सक्रिय सदस्य और एकता महिला मंच की राष्ट्रीय संयोजक जिल बहन ने आज इस आशय के विचार स्व. रामकुमार जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए व्यक्त किये।
मूलत: कनाड़ा निवासी जिल बहन, एकता परिषद मध्य प्रदेश की संयोजिका प्रीति तिवारी, एकता परिषद छत्तीसगढ़ के प्रांतीय संयोजक प्रशांत कुमार तथा प्रयोग समाज सेवी संस्था तिल्दा-भाटापारा की ग्लोरिया बहन के साथ आज अपरान्ह सड़क मार्ग से यहां पहुंची। रायगढ़ में स्व. रामकुमार जी के निवास पर उनके छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद हमारे संवाददाता से विशेष चर्चा के दौरान जिल बहन ने बताया कि वे कई कार्यक्रमों में स्व. रामकुमार जी के साथ सहभागी रही हैं। वे थिंक टैंक थे और सर्वहारा वर्ग के उत्थान के लिए प्रयासरत संगठनों को प्रेरणा देते रहते थे। वे हमारे काम करने के जज्बे के लिए प्राणवायु के समान थे।
स्व.रामकुमार जी से प्रारंभिक परिचय के संबंध में जिल बहन ने बताया कि वर्ष 1998 में सत्यभामा प्रकरण के दौरान स्व.रामकुमार जी तथा एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी.वी.राजगोपाल जी निकट आए थे और उसके बाद से उनका साथ जीवन पर्यन्त बना रहा। यहां तक कि राजगोपाल जी देश के किसी भी कार्यक्रम या सभा में रामकुमार जी की जीवटता तथा संघर्ष की क्षमता का लोगों से आंकलन करने और उनका अनुशरण करने की बात कहते थे।
रामकुमार जी से उनका साक्षात वर्ष 2000 में अविभाजित मध्य प्रदेश के समय भू-अधिकार पदयात्रा के दौरान हुआ और तब से वे इस चमत्कारिक व्यक्तित्व से सबसे अधिक प्रभावित रहीं। जून 2000 में भू अधिकार पदयात्रा के दौरान रायगढ़ में महापंचायत का आयोजन किया गया था जिसमें रामकुमार जी की प्रेरणा से आसपास तथा दूर दराज के गांवों से पांच हजार से अधिक ग्रामीण महिलाएं पुरूष इकट्ठे हुए थे। इस महापंचायत में उन्हें रामकुमार जी को निकट से जानने का अवसर मिला।
वर्ष 2002 में रामकुमार जी की प्रेरणा से ही उन्होंने तथा राजा जी ने ह्यूमन राईट कमीशन की लीगल एडवाइजर स्वीस महिला लियोना को केलो नदी के प्रदूषण का अध्ययन तथा उद्योगों से होने वाले प्रदूषण का आंकलन करने के लिए रायगढ़ भेजा। मैडम लियोना ने यहां केलो नदी सहित शहर के आसपास के विभिन्न भू-भागों का माह भर तक गहन अध्ययन किया। इस दौरान रामकुमार जी ने केलो नदी के पानी का उद्योगों द्वारा दोहन तथा पानी के गंदा होने पर गहरी चिंता जाहिर की थी।
वर्ष 2005 में उन्होंने राबो से रायपुर तक होने वाली छत्तीसगढ़ बचाओ पदयात्रा तथा महापल्ली में आयोजित विशाल सभा के आयोजन में रामकुमार जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया वे सही मायनों में विचारों से महामना थे। रायगढ़ की वर्तमान पृष्ठभूमि को छत्तीसगढ़ तथा दिल्ली में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फोकस में लाने का श्रेय वे स्व. रामकुमार जी को ही देंगी।
राष्ट्रीय एकता परिषद उनकी सोच, उनके संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए उनके जैसे विचारों से अनुप्राणिक होने वाले लोगों को जोड़कर एक ट्रस्ट का गठन करेगा जो रायगढ़ की अस्मिता के लिए आगे भी मिल जुलकर संघर्ष जारी रखेगा और एकता परिषद सहित समस्त जनसेवी संगठनों की इसमें सहभागिता होगी।
राष्ट्र का वास्तविक निर्माण संकल्प और श्रद्धा के माध्यम से ही होता है। संकल्प को चुनौतियों से आगे ले जाकर संघर्षों से जीत कर उन्हें साकार करना ही सच्चा जीवन है। भारत के विकास का मार्ग भ्रष्टाचार से न होकर संवेदना से गुजरता है। भ्रष्टाचार एक आदत है जिसे छोड़ा जा सकता है, किन्तु स्वभाव को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। इस देश का स्वभाव संवेदना है। संस्कृति संस्कारों से उत्पन्न होती है। अन्न के अभाव में तो मानव की मृत्यु होती है किन्तु संस्कारों के अभाव से मानवता की ही मृत्यु हो जाती है। आज संबन्धों का आधार भी “अर्थ” हो गया है। जब समाज में ऐसा दौर आता है तो यह अनर्थ का प्रतीक होता है। समाज में वृद्धाश्रमों और अनाथालयों की बढ़ती संख्या उस छूरे को प्रदर्शित कर रही है, जो हमारे समाज की पीठ में घुसा हुआ है।
कि जिस प्रकार सभी क्षेत्रों में गिरावट आई है, इसी तरह कुछ गिरावट न्याय पालिका में भी आई है फिर भी आज की न्यायपालिका अपने कर्तव्य का उचित पालन कर रही है व देश की जनता न्यायपालिका के प्रति आशा भरी नजरों से देख रही है। अशिक्षा, अज्ञान और अभाव के चलते स्वतन्त्रता का मूल्य नहीं समझा जा सकता है। एक प्रकार से हमने अपने मूल्यों के साथ समझौता कर लिया है। समाज में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। आलम यह है कि भ्रष्ट देशों के सूची में 86 नम्बर पर हम पहुँच गये हैं। हमारा असीम धन स्वीस बैंकों में जमा है। अगर वह धन आता है तो हमारा देश वापस समृद्धि के शिखर पर पहुँच जाएगा। इधर इतनी बड़ी आबादी वाले इस देश में मताधिकार का प्रयोग भी 50 प्रतिशत तक ही हो पाता है। गांधीजी के द्वारा रचित मानव मूल्यों की शपथ लेकर देश के नेता उस गद्दी तक पहुँच गये है जहां जाने की चाह महात्मा गांधीजी ने कभी नही की। इस देश को सच्चे अर्थों में समझने के लिये इसके गाँवों का साक्षात्कार होना आवश्यक है। हमारा संविधान भले ही समता की चर्चा करता हो किन्तु हकीकत यह है कि गरीब और अमीर के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है। यह देश के लिये घातक है ।

जमुई. बिहार सरकार के द्वारा वनाधिकार अधिनियम ठीक तरह से लागू नहीं किया जा रहा है. इस अधिनियम के लागू होने के बाद वनभूमि पर आदिवासी और गैर आदिवासी लोगों को स्वामित्व मिल जाता है. मगर सरकार ने अपने पूर्व कानून के तहत ही वन विभाग में वन अधिकारियों का शासन चलाने की छूट दे रखी है. वनाधिकारियों ने वर्ष 2005 में वनभूमि पर रहने वाले 113 एसटी परिवारों के ऊपर अवैध ढंग से जमीन कब्जाने के आरोप में मुकदमा ठोंक रखा है. वह मुकदमा छह साल के बाद भी सुलझाया नहीं गया और न ही उसका निपटारा किया गया. इस कारण से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है.